ए लेख में मैथिलि के 5 गोअतिमहत्वपूर्ण निबंध देखा वाला छि जे अहाक बोर्ड परीक्षाक लेल महत्वपूर्ण रहत. ए दुआरे ए लेख के शुरू से अंतिम धरि निक से पढ़ब.
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बाल-विवाह
विवाहक कारण सृष्टि होइत अछि । सृष्टिक रक्षाक हेतु विवाह परमावश्यक अछि। यदि वैवाहिक प्रथा बन्द भए जाएत तँ पृथ्वी मानव विहिन भए जाएत ।
भारत मे बहुत दिन सँ बालविवाहक प्रथा छल । बहुत ठाम कहल जाइत छल जे ‘अष्टवर्षात् भवेत गौरी’ अर्थात् कन्या आठ वर्ष मे गौरी भए जाइत छथि । एत वय नहि कन्या रजस्वला भेला पर विवाह होएत तँ पाप लागत। अतएव आठे वर्षक अवस्था मे विवाह करा देल जाइत छल। पहिने लोक परम्परा सँ जे बात आबि रहल छल तकर रक्षा करब अपन पुनीत धर्म मानैत छल । Bihar Board Class 10 Maithili Nibandh
आब एहि वैश्विक युग मे बालविवाहक दुश्परिणाम सँ सब गोटे अवगत भए चुकल अछि। तथापि हम कहब जे बाल विवाह सँ कन्याक स्वास्थ्य खराब भए जाइत छैक। एक अतिरिक्त कम अवस्था में बच्चाक स्वास्थ्य से हो खराबे रहैत छैक। तँ सरकारक दिस सँ सेहो बाल विवाहक विरोध में कानून बनायल गेल। एहि मे प्रावधान छल जे गार्जियन बाल विवाह करौताह तिनका जेल मे किछु अवधि धरि रहय पड़तनि ।
शिक्षाक प्रचार-प्रसार सँ स्वतः बाल विवाह पर आंकुश लागि गेल अछि । मुदा एखनहुँ धरि ठाम ठाम बाल विवाह होइते रहैत छैक। सरकार द्वारा दंडित भेलो पर किछु गोटे ई दुस्साहस करिते रहैत छथि । अंधविश्वासक कारण किछु आदिवासी सेहो एखनधरि बालविवाह के शुभ मानैत छथि। तँ बाल विवाहक फेर में पड़ि जाइत छथि ।
एतावता ज्ञात होइत अछि बाल-विवाहक खराब परिणाम केँ देखेते सरकार केँ कठिन- कठिन दंडनीय कानून बनेबाक चाही । एहि सँ बाल-विवाह पर रोक लागत । दोसर बात जे लोक कें परम्परा सँ अबैत वएह बात स्वीकार करबाक चाही जाहि सँ लाभ होइक ।
जाहि काज सँ हानि होइक यथा बाल विवाह, बहुविवाह, बलिदान प्रथा, पर्दा प्रथा एकरा सभ केँ त्याग करब जरूरी अछि।
अन्त मे हम कहब जे लोक मे जागरूकता आबि गेल छैक। देश मे शिक्षाक प्रचार भए रहल अछि। स्वतः एक दिन बाल विवाह रूकि जाएत।
छात्र अनुशासन अनुशासन
सूर्य आ चान निश्चित अवधि पर सृष्टिक आरती उतारैत छथि। संध्यारानी नियत समय पर अबैत छथि आ एक निश्चित समय पर उषा अपन उपस्थिति दर्ज करबैत छथि। नियमक एही श्रृंखला केँ ‘अनुशासन’ कहल जाइत अछि। अनुशासन शब्द अनु-उपसर्ग पूर्वक ‘शास्’ धातु सँ निष्पन्न भेल अछि। एकर अर्थ छैक – नियमबद्ध भए शासनक अनुसरण करब । Bihar Board Class 10 Maithili Nibandh
ओना तँ जीवनक प्रत्येक कार्य मे अनुशासनक महत्ता अछि, मुदा सब सँ बेसी महत्ता अछि- छात्रजीवन मे । ई ओ समय अछि जखन छात्र स्वप्नक संसार बसबैत छथि, भुजा मे शक्ति एवं शौर्य समेटने रहैत छथि। एहि समय में सावधानीक आवश्यकता होइत छैक, जाहि सँ हुनक स्वप्न साकार भए सकए । उक्त कार्य तखने संभव हएत, जखन हुनक जीवन नियमबद्ध होन्हि, अनुशासनयुक्त होन्हि ।
राष्ट्र अपन रक्षा लेल प्रबल प्रहरी केँ तकैत अछि आ राष्ट्रक प्रहरी छथि – हमरा लोकनिक अनुशासित छात्र। कहलो गेल छैक जे अनुशासने देश के महान् बनबैत अछि। अनुशासनेक बल पर छात्रगण परतंत्रताक बेड़ी कें छिन्न-भिन्न करबाक सफल कार्य कएलनि । छात्र एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्र-शक्ति अछि। एहि राष्ट्र – शक्तिक दुरुपयोग होअए, ई बात शोभाजनक नहि अछि। आजुक विचित्र शिक्षा प्रणाली अनुशासनहीनता मेँ बढ़ओलक अछि । सिद्धान्त आ व्यवहार मे कोनो मेल नहि छैक । छात्र लक्ष्यविहीन भए गेल छथि। हुनक शक्ति-साधना लक्ष्यक अभाव मे बौआए रहल अछि ।
शक्तिक धार तँ बहबे करत । आवश्यकता छैक, बन्हबाक, सही दिशा मे मोड़बाक । अध्ययनक प्रति ईमानदारी, अगाध निष्ठा, अपन संस्था केँ अओरो विकसित करबाक इच्छा, राष्ट्रीय कार्य मे पूर्ण ईमानदारी सँ भाग तेबाक, लालसा पारस्परिक सद्भाव बनौने राखब आदि किछु एहन उपाय अछि जाहि पर ठीक सँ विचार कए, जीवन में पसरल निरंकुश अनुशासनहीनता सँ उठल जाए सकैत अछि । स्पष्ट अछि जे छात्र जीवन मे अनुशासनक बड़ महत्त्व छैक। छात्र जीवन लेल अनुशासनक बंधन सुरक्षिते नहि, अपरिहार्य सेहो अछि ।
दुर्गा पूजा
भारतवर्ष मे अनेक पर्व-त्योहार मनाओल जाइछ। ओहि मे दुर्गापूजा कें विशेष महत्त्वपूर्ण पर्व मानल गेल अछि । देशक सबठाम ई पर्व मनाओल जाइछ। एहि मे माता दुर्गाक पूजा अत्यन्त भक्ति भावना सँ कएल जाइत अछि ।
दुर्गा पूजनोत्सव दू समय मे मनाओल जाइत अछि । एक शारदीय तथा दोसर वासन्ती । मुदा शारदीय पूजा केँ विशेष महत्त्व देल जाइत छैक । ई पूजा आसिन मासक शुक्ल पक्ष में होइत छैक। परीब केँ कलशक स्थापना होइत छैक। शक्तिक प्रतीक दुर्गाक आराधना अत्यन्त निष्ठा सँ कएल जाइत छैक। एहि अवसर पर विद्यालय, महाविद्यालयक सब सरकारी कार्यालय बन्द रहैत छैक।
भारतवर्ष में जतेक पर्व-त्योहार मनाओल जाइत छैक तकरा पाछाँ कोनो ने कोनो तथ्य अवश्य रहैत छैक । दुर्गापूजाक विषय मे दू गोट पौराणिक कथाक उल्लेख अछि । महिषासुर नामक असुरक अत्याचार सँ देवलोक, प्रकम्पित भए उठल। सब देवता महाशक्तिक आराधना कएलानि । देवी प्रसन्न भए प्रकट भेलीह आ महिषासुर, शुम्भ, निशुम्भ आदि राक्षसक वध कए संसारक परित्राण कएलनि। दोसर रामक लंका विजय सँ संबंधित अछि। राम दुर्गाक आराधना कए रावण पर विजय पौलनि । तँ एहि पर्व केँ विजयादशमी सेहो कहल जाइछ। Bihar Board Class 10 Maithili Nibandh
दुर्गापूजा हमर राष्ट्रीय आ सांस्कृतिक पर्व थिक । ठाम ठाम एहि अवसर पर मेला सेहो लगैत अछि । बंगाल मे दुर्गापूजाक उत्सव बड़ प्रसिद्ध अछि। बिहार में सेहो ई पर्व उमंग ओ उत्साह सँ मनाओल जाइत अछि।
लोक धियापूता आ परिवारक अन्य सदस्य केँ एहि अवसर पर नव वस्त्र दैत अछि । दुर्गापूजाक विशेष छटा शहर सभ मे देखबा मे अबैत अछि। सप्तमी सँ दशमी धरि चारूकात विशेष चहलपहल मचि जाइत छैक।
दुर्गापूजा असत्य पर सत्यक विजयक प्रतीक अछि । एक सन्देश अछि अनेकत्व मे एकत्व आ पाप पर पुण्यक विजय । हमरा लोकनि केँ एकरा नीक जकाँ मनएबाक चाही।
एहि अवसर पर यत्र-तत्र बलिदानक परिपाटी अछि से बलिप्रदान बन्द होअए । हमरा लोकनि केँ एहि अवसर पर राष्ट्रीय एकताक व्रत लेबाक चाही ।
अहाँक प्रिय कवि
हमर प्रिय कवि थिकाह प्रो० डॉ० इन्द्रकान्त झा । बहुमुखी प्रतिभाक धनी प्रो० झाक व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व एकरंग छनि । ओ एक दिस कथा, समीक्षा, निबंध, अनुवाद कार्य कएलनि तँ दोसर दिस कविता आ पदक रचना कए कविमध्य अग्रगण्य भए गेल छथि। हुनक मुख्य चर्चित पोथी निम्नवत् अछि- अभिन्न, हथकड़ी बाजि उठल (कथा), विद्यापतिकालीन मिथिला, शोधरत्नाकर, विद्यापति विमर्श, मदनेश्वर मिश्र (समीक्षा), मैथिली काव्यशास्त्र, मैथिली भाषा विज्ञानः एक आलोचनात्मक अध्ययन (काव्यशास्त्र आ भाषा विज्ञान), लिखनावली, शैवसर्वस्वसार आ विभागसारक हिन्दी ओ मैथिली अनुवाद, तीन संगी, आंगलियात (अनुवाद), पाहुन बिलमि जाउ . (पद-संग्रह) आ चल गुजरनी मिथिलाक गाम ( कविता संग्रह) एकर अतिरिक्त इन्द्रकान्त झाक कविता, गीत, कथा आ अनुवाद त्रैमासिक या द्वैमासिक पत्रिका क्रमश: कर्णामृत एवं मिथिला दर्शन विख्यापति टाइम्स, आंकुर, मिथिलादर्पण आदि मे निरंतर प्रकाशित भए रहल छनि ।
डॉ॰ इंद्रकान्त झाक जन्म दरभंगा जिलान्तर्गत ‘कसरर’ नामक गाम मे एकटा जमींदार परिवार मे 1943 ई० मे भेल छलनि। डॉ० झा पटना विश्वविद्यालयक अधीनस्थ पटना कओलेज मे मैथिलीक प्राध्यापक नियुक्त भेलाह। एहीठाम रहैत ओ कओलेजक परीक्षा नियंत्रक भेलाह, मैथिली अकादमी, पटनाक निदेशकक पद के सुशोभित कएलनि। पछाति स्नातकोत्तर मैथिली विभाग, पटना विश्वविद्यालय मे अध्यक्ष पद आसीन भेलाह। ओ जतए कतहु रहलाह, सभ केँ संग लए चलबा में विश्वास कएलिन । तँ सबठाम हुनका यश अर्जित भेलनि । प्रो० आनंद मिश्र हुनका अजातशत्रु ‘क संज्ञा देने छथि। हिनक दू गोट कविता संग्रह अछि (1) पाहुन विलमि जाउ (2) चल गुजरनी मिथिलाक गाम ।
कवि डॉ० इन्द्रकान्त झाक लगभग एक सए कविता विभिन्न पत्र-पत्रिका मे प्रकाशित छनि । ओ अपन अनेक कविता मे भिखमंगवीक दीन-हीन दशाकं चित्रण कपने छथि। एहि क्रम मे ओ कहैत छथि जे भिखमंगवीक जीवन-यापन मे कोना सुधार होएत ताहि दिस ने कवि ध्यान दैत छथि ने सरकार |
डॉ॰ इन्द्रकान्त झा सहजतावादी कवि छथि । सहजता सँ हुनका प्रेम छनि । ओ कहैत अपन सहज शीर्षक कविता में कहैत छथि :
सहज लोक छी
सहज लोक संग नीक लगेए
ककरो से ने झगडै छी
ने झगड़ा केर अर्थ बुझै छी
शत्रु ने ककरो मानै छी ।
X X X
सहज काव्य केर बनल पुजारी
सहज भाव सँ काव्य देखै छी
सहजतावादी कवि डॉ० इन्द्रकान्त झाक ह्रदय विशाल अछि। ओ अपने काव्यक माध्यम सँ समाज मे सुधार आनबाक प्रयास करैत छथि। हुनका आध्यत्म सँ प्रेम छनि । एम्हर ओ किछु कविता भावांजलि आदित्यांजलि शीर्षक सँ लिखने छथि। ओ कविता सभ हैदराबादक देसिलवयना आ प्रवासी पत्रिका में प्रकाशित भेल अछि। एहि कविता सभ मे जे भाव – प्रवाह अछि । जे विचारधारा अछि ओ मैथिलीक कोनो कविता मे नहि भेटैत अछि। ओहि कविता सभ केँ मैथिलीक अद्वितीय कविताक श्रेणी मे राखल जा सकैत अछि । एक भावांजलि मे ओ चंचल मनक हानि आ स्थिर मनक लाभक विश्लेषण बड़ उत्तम ढंग सँ कएलनि अछि ।
नक्सलवाद
नक्सलवाद 1960 मे बंगालक दार्जिलिंग जिला मे किसान आंदोलनक रूप मे प्रारंभ भेल। 1967 मे एकरा नक्सली आंदोलन सँ संबोधित कएल गेल । 1969 मे सी०पी०आई० क स्थापना भेल। नक्सली आंदोलन तीन घोषित उद्देश्य छल-(1) खेत जोतिनिहार केँ खेतक अधिकारक भेटैक (2) विदेशी पूँजीक ताकति समाप्त कएल . जाए (3) वर्ग एवं जातिक विरुद्ध संघर्ष प्रारंभ हुआए। 1960-70 के दशक मे मूल नक्सली आंदोलन मेँ कुचललाक बाद एहि मे बिखराव भेल आ नव-नव शाखा सबहिक स्थापना भेल । यथा – (1) पीपुल्स वार ग्रुप, संस्थापक – सीता रमैया, स्थान – आन्ध्रप्रदेश (2) माओवादी कम्युनिस्ट सेन्टर, संस्थापक- कन्हाई चटर्जी, स्थान-बंगाल (3) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी), संस्थापक- मुहपाला लक्ष्मण उर्फ गणपति, स्थान – बिहार (4) रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट, स्थान- यू०पी०, पंजाब, उत्तरांचल । नक्सलवाद सँ प्रभावित राज्य अछि- आन्ध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार ।
नक्सली हिंसा सँ निपटवाक लेल सरकारक निम्नलिखित रणनीति सोझाँ आएल. -( 1 ) नक्सली सब आ आधारभूत ढाँचा एवं सहायक प्रणालीक विरुद्ध एकटा समन्वित प्रभावी पुलिस कार्यवाही के प्रभावी बनएबाक लेल समुन्नत सूचना – संग्रहण आ साझी तंत्रक निर्माण करब । (2) नक्सली हिंसा सँ प्रभावित क्षेत्र मे रोजगारक अवसर सभ में वृद्धि करक संग त्वरित सामाजिक, आर्थिक विकासक, उद्देश्य सँ जनशिकायत केर प्रभावी निराकरण एवं समुन्नत वितरण तंत्र सुनिश्चित करबाक लेल प्रशासनिक मशीनरीक सुदृढ़ीकरण करब तथा ओकरा बेसी पारदर्शी, उत्तरदायी ओ संवेदनशील बनाएब आओर स्थानीय समूह सब मेँ प्रोत्साहित करब । जेना- छत्तीसगढ़क सल्वा जुड़म अभियान । (3) प्रभावित राज्य सब द्वारा नक्सली गुट सभहिक संग शांति वार्ता करब जँ हिंसाक बाट छोड़व एवं हथियार त्यागबाक लेल तैयार हो अए ।
Bihar Board Class 10 Maithili Nibandh